आवाज़(मुकेश शर्मा, दिल्ली): कर्नाटक में सियासी नाटक अपने चरम पर है जहाँ विधानसभा चुनाव के नतीजों ने तमाम सियासी पार्टियों की नींद उड़ा रखी है और जोड़-तोड़ की राजनीति उफान ले रही है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनकर उभरी लेकिन बहुमत के आंकड़े को पा नहीं कर पाई. उसे 104 सीटों से ही संतोष करना पडा. वहीँ कांग्रेस ने 78 सीटें जीतीं तो जेडीएस के खाते में 37 सीटें आईं. अब राज्य में सरकार किसकी बने ये सबसे बड़ा यक्ष प्रशन बनकर सब पार्टियों के सामने खडा हो गया है. हालांकि कांग्रेस ने नतीजे देखकर तुरंत जेडीएस के सामने बिना शर्त समर्थन की बात कहकर बीजेपी को करारा झटका दिया और अब उनके पास वो अंक गणित है जिसके सहारे वो सरकार बना सकते हैं लेकिन सवाल यहाँ भी फिर से व्ही है कि क्या वाकई चुनाव परिणामों के बाद हुए इस बेमेल गठबंधन से इन दोनों पार्टियों के विधायक संतुष्ट हैं. कांग्रेस की मुख्य लड़ाई बीजेपी को सत्ता से दूर रखना है वहीँ जेडीएस के दोनों हाथों में लड्डू हैं.
लेकिन अब गेंद सीधे-सीधे राज्यपाल के पाले में है कि वो किसको सरकार बनाने के लिए पहले आमंत्रित करते हैं. संविधान विशेषज्ञों की मानें तो राज्यपाल स्थिति में सबसे बड़े दल को ही सरकार बनाने के लिए न्योता देंगे जिसकी कि उम्मीद भी की जा रही है. अगर सबसे अ दल सरकार बनाने में सक्षम नहीं है तो वो इस स्थिति में जेडीएस-कांग्रेस को बुलाएँगे और अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कहेंगे. इसी रस्साकसी के बीच बीजेपी विधायकों ने आज वीएस यदुरप्पा को विधायक दल के नेता चुन लिया है. उन्होंने दावा किया है कि वह कल (गुरुवार) को शपथ लेंगे. विधायक दल की बैठक के बाद येदियुरप्पा और प्रकाश जावड़ेकर राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचे हैं, जहाँ उन्होंने 104 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपा है वहीँ कुछ और विधायकों के समर्थन की भी बात कही है.
वहीँ कांग्रेस और जेडीएस बीजेपी के ऊपर उनके विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस ने अपने तमाम विधायकों को बेंगलुरु शिफ्ट करने की योजना बनाई है जिसके लिए उन्होंने एक रिसोर्ट में 120 कमरे भी बुक करवा दिए हैं. जेडीएस भी अपने विधायकों को एक करने की लामबंदी कर रही है. यानी सियासी ड्रामा अपने चरम पर है और क्या गुल खिलायेगा इसपर पूरे देश की नजर रहेगी..... आवाज़ न्यूज़ नेटवर्क भी आपको तमाम उप्दतेस देता रहेगा.....